डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है | डिलीवरी ट्रेडिंग (Delivery Trading) के लाभ | डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान | डिलीवरी ट्रेडिंग कैसे की जाती है | डिलीवरी ट्रेडिंग के नियम | डिलीवरी ट्रेडिंग के टिप्स | what is delivery trading | Delivery trading kya hai | delivery trading kaise kare | delivery trading rules
चलिए आज हम जान ने का प्रयास करते हैं कि डिलीवरी ट्रेडिंग क्या होती है वैसे तो शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेडिंग तथा डिलीवरी ट्रेडिंग के बारे में काफी ज्यादा चर्चा सुनाई देती है लेकिन हमें इन दोनों का फर्क जानना बहुत ही जरूरी होता है तथा डिलीवरी ट्रेडिंग कैसे की जाती है इसके बारे में भी पता होना बहुत ही जरूरी होता है।
इस लेख के माध्यम से आप सभी को मैं डिलीवरी ट्रेडिंग के बारे में समझाने का पूरा प्रयास करूंगा और साथ ही आशा करता हूं कि यह लेख आपको पसंद आए तथा आप अपने दोस्तों के साथ इसे साझा करना जिससे कि उनको भी ऐसी जरूरी जानकारी के बारे में पता चल सके और ट्रेडिंग की जरनी को वह और भी अच्छा बना सकें।
डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है | What is Delivery Tadading?
डिलीवरी ट्रेडिंग एक तरह से किसी शेयर को अपने पास 1 दिन से ज्यादा रखने पर बोली जाती है अगर हम किसी शेयर को आज खरीद कर और आज ही भेज देते हैं तो उसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहते हैं लेकिन वही उसी शेयर को हम डिलीवरी के लिए खरीद लेते हैं यानी कि शेयर दो या दो से अधिक दिन के लिए अपने पास रखते हैं तो उसे हम डिलीवरी ट्रेडिंग कहते हैं। ऐसी ट्रेडिंग करना बहुत लोगों को पसंद होता है क्योंकि इसके लिए ज्याद रिसर्च करने की आवश्यकता नहीं होती है।
डिलीवरी ट्रेडिंग के अंदर आप को शेर जमा करने के लिए एक डीमैट अकाउंट की आवश्यकता होती है और भारत में शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए बहुत सारे ब्रोकर डीमेट अकाउंट खोलने की सुविधा प्रदान करते हैं भारत में मुख्यतः दो तरीके के डीमेट अकाउंट होते हैं या दो तरह के ब्रोकर होते हैं जो यह सर्विस प्रदान करते हैं जिसमें 1 तरह के सर्विस ब्रोकर तथा डिस्काउंट ब्रोकर होते हैं अगर आपके पास कम पैसे हैं और थोड़ा बहुत नॉलेज है तो आप डिस्काउंट ब्रोकर के साथ जा सकते हैं कुछ डिस्काउंट ब्रोकर तो फ्री में भी डिमैट अकाउंट ओपन करवा देते हैं।
डिलीवरी का अर्थ होता है कि “लेना” जैसा कि हम शब्द से ही समझ पा रहे हैं कि किसी शेर को कुछ अवधि के लिए लेना क्योंकि 1 दिन में खरीद कर 1 दिन में बेच देना डिलीवरी नहीं हो सकती और अगर 1 दिन से ज्यादा यानी कि ओवरनाइट पोजीशन क्रिएट करते हैं तो हमें उस शेयर की डिलीवरी लेनी पड़ती है।
जिसका अर्थ होता है कि हमें शेयर को अपने डिमैट अकाउंट में प्राप्त करना पड़ेगा और उसके बाद हमें उसे वापिस बेचना पड़ता है जिससे कि हम अपना मुनाफा कमा सकें लेकिन इंट्राडे ट्रेडिंग में ऐसा नहीं होता है हमें शेयर अपने डीमेट अकाउंट में रखने की आवश्यकता नहीं होती है हम बिना शेयर खरीदे भी पहले भेज सकते हैं तथा बाद में शेयर खरीद सकते हैं लेकिन डिलीवरी में ऐसा बिल्कुल नहीं है किसी शेयर को बेचने से पहले हमारे पास वह शेयर हमारे डीमैट खाते में होना अति आवश्यक है।
आशा करता हूं आपको डिलीवरी ट्रेडिंग के बारे समझ में आ रहा होगा तथा इसे और गहराई में जानने के लिए हमारे साथ बने रहें और इस लेख को पूरा पढ़े।
डिलीवरी ट्रेडिंग के नियम
अगर आप डिलीवरी में ट्रेड करना चाहते हैं तो आपको कुछ नियमों के बारे में पता होना अति आवश्यक होता है क्योंकि अगर आपको ऐसे नियम के बारे में पता नहीं होगा तो आप अपने ट्रेड के अंदर नुकसान भी उठा सकते हैं और जिससे आप दोबारा ट्रेड करने से घबरा जाएंगे तो चलिए अभी हम अपने डिलीवरी ट्रेडिंग के नियम के बारे में जानते हैं।
- डिलीवरी में ट्रेड करते समय हमें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है जैसे कि किसी शेयर को हम डिलीवरी के लिए खरीदते हैं तो उसके बारे में जानना बहुत ही जरूरी होता है और उस कंपनी के प्रॉफिट तथा फंडामेंटल रिसर्च करना अति आवश्यक होता है।
- कोई भी ट्रेड डिलीवरी में लेते समय हमें यह पता होना चाहिए कि कंपनी क्या बिजनेस कर रही है और उस बिजनेस का आने वाले समय में क्या अच्छा ग्रोथ हो सकता है यह कुछ बेसिक क्वेश्चन हमारे दिमाग में होने चाहिए और उनको आंसर करने के बाद ही हमें उस शेयर में निवेश करना चाहिए।
- शेयर का चयन करने के बाद हमें यह सुनिश्चित करना होता है कि हमारे ट्रेडिंग अकाउंट में उतना पैसा होना चाहिए जितने पैसे का हमें शेयर खरीदना है।
- ट्रेड के हिसाब से हमें अपना स्टॉपलॉस लगाना अति आवश्यक होता है क्योंकि अगर आपने ट्रेड लिया हो और उसके बाद शेयर गिरना शुरू हो जाए तो बहुत ज्यादा नुकसान भी हो सकता है इसलिए आपको हमेशा शेयर बाजार में स्टॉपलॉस लगाकर ही trade करना चाहिए चाहे वह डिलीवरी ट्रेड हो या इंट्राडे ट्रेड।
- डिलीवरी ट्रेड में टारगेट प्राइस लगाना वैसे तो मुश्किल होता है या फिर इतना जरूरी भी नहीं है अगर आप एक लंबी अवधि के लिए शेयर खरीद रहे हैं तो टारगेट लगाना इतना आवश्यक नहीं होता लेकिन फिर भी आप अपने प्रॉफट को फिक्स करना चाहते हैं तो आप अपना टारगेट प्राइस भी सेट कर सकते हैं।
- आपको अपना सारा पैसा किसी एक शेयर में नहीं लगाना चाहिए जबकि एक अलग-अलग शेर का पोर्टफोलियो तैयार करना चाहिए जिससे कि आप अपने रिस्क को कम कर सके तथा प्रॉफिट को बढ़ा सकें।
- जितने शेयर आप खरीदना चाहते हैं उतने शेयर का पैसा आपके पास होना जरूरी होता है तभी आप डिलीवरी ट्रेड खरीद सकते हैं।
डिलीवरी ट्रेडिंग कैसे करें
डिलीवरी ट्रेडिंग करने के लिए आपके पास डीमेट अकाउंट होना आवश्यक होता है जो कि आप किसी सर्विस ब्रोकर या किसी डिस्काउंट ब्रोकर के पास खुलवा सकते हैं सबसे सस्ता डिस्काउंट ब्रोकर के पास डिमैट अकाउंट खुलता है कुछ डिमैट अकाउंट ब्रोकर फ्री में भी खोल सकते हैं तथा कुछ उसके लिए थोड़ा बहुत फीस चार्ज करते हैं लेकिन सर्विस ब्रोकर के पास डिमैट अकाउंट खुलवाना महंगा पड़ता है लेकिन डिमैट अकाउंट जोकि डिस्काउंट ब्रोकर के पास होता है उसमें चार्ज कम लगते हैं जिससे कि आम व्यक्ति को ज्यादा फायदा होता है।
क्योंकि नॉर्मल जनता के पास इतने पैसे नहीं होते हैं इसलिए उन्हें डिस्काउंट ब्रोकर के पास खाता खुलवाने की सलाह दी जाती है डिस्काउंट ब्रोकर की लिस्ट हम नीचे प्रदान कर देंगे
डिस्काउंट ब्रोकर सूची
- Zerodha
- Upstox
- Angle One
- Grow
सर्विस ब्रोकर सूची
- Motilal Oswal
- IIFL
- Angle One
इनके अलावा और भी बहुत सारे ब्लॉक कर ऐसे हैं जो सर्विस तथा डिस्काउंट Demat account खोलने की सुविधा प्रदान करते हैं आप अन्य किसी भी प्रकार के पास जा सकते हैं लेकिन जो भारत के सबसे ज्यादा प्रसिद्ध ब्रोकर हैं उनकी सूची हमने ऊपर प्रदान कर दी है आप अपनी इच्छा अनुसार इनके पास अपना अकाउंट खुलवा सकते हैं।
इन ब्रोकर के पास अकाउंट खुलवाने के बाद आप अपने अकाउंट में पैसे जमा करवाएं तथा अपने बैंक खाता को ट्रेडिंग अकाउंट से लिंक करवाएं जिसके बाद आप किसी भी कंपनी के शेयर को सिलेक्ट करके उसमें डिलीवरी का ऑप्शन के चयन करके आप डिलीवरी में शेयर खरीद सकते हैं।
और इस शेर को खरीदने या बेचने के लिए आप किसी प्रकार से बाधित नहीं होते हैं और अपनी स्वेच्छा से कभी भी इसे बेच भी सकते हैं किसी भी शेर को लंबी अवधि के लिए रखने में हमेशा फायदा होता है और नुकसान होने के संभावनाएं कम हो जाती हैं।
डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे
- डिलीवरी ट्रेड करने से आपको शेयर बाजार में रिस्क कम हो जाता है क्योंकि लंबे समय में कोई भी शेर हमेशा पैसा बना कर देता है अगर हम बात करें सेंसेक्स और निफ्टी के बारे में तो यह दोनों भी हर साल 15% से ज्यादा का रिटर्न देते हैं इसलिए लंबी अवधि में शेयर हमेशा प्रॉफिटेबल होता है और डिलीवरी ट्रेडर को जिससे फायदा मिलता है।
- डिलीवरी ट्रेड लेने की वजह से शेयरधारकों उस शेयर में बने रहने का मौका मिलता है और वह अपनी मनमर्जी के साथ जितनी लंबी अवधि के लिए शेर को अपने पास रखना चाहे वह रख सकता है लेकिन इंट्राडे ट्रेडिंग उसी दिन बेचना जरूरी हो जाता है लेकिन डिलीवरी ट्रेड में ऐसा बिल्कुल नहीं है।
- डिलीवरी ट्रेड मैं ब्रोकरेज चार्जेस काफी कम होते हैं और जिनकी वजह से डिलीवरी ट्रेड काफी प्रॉफिटेबल या लाभदायक साबित होते हैं।
- डिलीवरी ट्रेड में 1 साल से ज्यादा की अवधि तक शेयर को अपने पास रखने के बाद ब्रोकर ब्रोकरेज को फ्री कर देता है।
- लंबी अवधि के लिए शेयर अपने पास रखने की वजह से बाजार की खबरों या थोड़े बहुत उतार-चढ़ाव से कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ता और लास्ट में फायदा ही होता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान
- शेयर डिलीवरी ट्रेडिंग में खरीदने के बाद अगर नीचे गिर जाता है तो उसमें शेयर धारक को नुकसान भी हो सकता है इसलिए हमेशा स्टॉपलॉस लगाकर ट्रेड करना चाहिए काट ल
- डिलीवरी ट्रेडिंग में कोई भी शेयर आप तभी भेज सकते हैं जब वह शेयर आपके पास आपके डिमैट अकाउंट में मौजूद होता है लेकिन इंट्राडे ट्रेडिंग में ऐसा नहीं है।
- डिलीवरी ट्रेड में आपको धैर्य के साथ काम लेना होता है क्योंकि इसको लेने के बाद आपको लंबी अवधि के लिए इंतजार करना पड़ता है तभी आपको अच्छा प्रॉफिट प्राप्त होता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग के शुल्क | Delivery trading charges
- डिलीवरी ट्रेडिंग में ब्रोकरेज चार्जेस लगते हैं जिनमें जीएसटी इंक्लूड होता है ।
- डिलीवरी ट्रेडिंग करते समय जब शेर को बेचा जाता है उस समय हमें डिलीवरी ट्रेडिंग के शुल्क देने होते हैं और इसमें डीपी चार्जेस देना पड़ता है।
- ट्रेडिंग के लिए कुछ शुल्क SEBI को भी देना होता है ।
डिलीवरी ट्रेडिंग के टिप्स
- डिलीवरी ट्रेडिंग करने से पहले हमें शेयर के बारे में पूरी फंडामेंटल तथा टेक्निकल रिसर्च कर लेनी चाहिए जिससे कि आगे चलकर अच्छा फायदा प्राप्त हो सके।
- इस ट्रेडिंग में किसी प्रकार की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए ताकि सही समय पर खरीदा और बेचा जा सके।
- ट्रेडिंग करने के बाद आपको किसी भी साला नहीं लेनी चाहिए तथा खुद की रिशब करने के बाद भी पैसा निवेश करना चाहिए
- आपको आपकी कमाई का 10 से 20% ही निवेश करना चाहिए ताकि आपको इसके होने वाले नुकसान से कोई ज्यादा फर्क ना पड़े।
- और सबसे जरूरी बात यह है कि आप किसी एक टॉप में निवेश ना करें आप अलग-अलग शेयर को मिलाकर एक अपना पोर्टफोलियो तैयार करें ।
- जब मार्केट में करेक्शन आया हो जैसे कि पीछे कुछ समय पहले कोरोना की वजह से शेयर बाजार काफी गिर गया था उस समय सहित निवेश करने का समय था और जिन्होंने निवेश किया उन लोगों ने काफी अच्छा पैसा उस बाजार से बनाया है।
- जब मार्केट अपने सिर्फ तेजी पर हो तब आपको अपने पोर्टफोलियो से कुछ पैसा निकाल लेना है और जब मार्केट रिट्रेस करें तब उसे दोबारा से वापिस निवेश कर देना है।
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FAQs
मैं अपने डिलीवरी शेयर कब भेज सकता हूं
आप डिलीवरी में लिए शेयर कभी भी भेज सकते हैं। शेयर पहले आपके डिमैट अकाउंट में जमा रहते हैं तथा आप जब मन चाहे तब भेज सकते हैं लेकिन उस दिन शेयर बाजार खुला होना जरूरी होता है।
इंट्राडे डिलीवरी में क्या अंतर होता है
इंट्राडे ट्रेडिंग में आप जिस दिन शेयर खरीदते हैं उसी दिन आपको वह बेचने पड़ते हैं लेकिन डिलीवरी ट्रेडिंग में ऐसा नहीं होता है डिलीवरी ट्रेडिंग में आप आज शेयर खरीद कर अगले दिन या उसके बाद कभी भी बेच सकते हैं।
सबसे अच्छा इंट्राडे या डिलीवरी कौन सा होता है
इंट्राडे ट्रेडिंग काफी जोखिम भरा होता है क्योंकि आपको उसी दिन हर हालत में बेचना पड़ता है लेकिन डिलीवरी ट्रेडिंग में ऐसा नहीं है इस ट्रेडिंग में आप कभी भी खरीद या बेच सकते हैं आप किसी भी शेर को डिलीवरी में कितने भी दिन के लिए अपने पास रख सकते हैं जब आपको अच्छा भाव लगे तब उन्हें बेच सकते हैं तथा इसमें जोखिम भी कम होता है।